भारतीय वायु सेना समूह कैप्टन शुभंहू शुक्ला अब इतिहास का हिस्सा बन चुके हैं। एक्सिओम मिशन-4 के तहत उन्होंने अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी और इस उड़ान ने उन्हें राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाला भारत का दूसरा नागरिक बना दिया है।
41 साल बाद भारत को मिला अंतरिक्ष का दूसरा नायकऔर इस बार लखनऊ का लाल पूरी दुनिया की नजरों में चमक रहा है।
लॉन्चिंग के समय भावुक हुए माता-पिता, लखनऊ में दिखी गर्व की लहर
जब अंतरिक्ष यान ने आकाश की ओर प्रस्थान किया, आशा शुक्ला और शंभू दयाल शुक्लाशुभांशु के माता-पिता, मंच पर मौजूद थे। दोनों की आंखों में आंसू थे—लेकिन यह आंसू गर्व, प्रेम और खुशी के थे।
उन्होंने कहा,
“आज पूरा देश गर्व महसूस कर रहा है।”
“हमारे बेटे ने वो कर दिखाया जो करोड़ों लोगों का सपना होता है।”
लखनऊ के कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (CMS) में आयोजित कार्यक्रम में शुक्ला दंपत्ति को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। उन्हें मंच पर सम्मानित भी किया गया।
बहू ने निभाई अहम भूमिका, मां ने कहा- वो न होती तो ये मुमकिन न होता
शुभांशु शुक्ला की मां आशा शुक्ला ने भावुक होकर बताया कि,
“हमारी बहू ने घर की जिम्मेदारी बखूबी निभाई। अगर उसने शुभांशु को सहयोग न दिया होता तो शायद यह सपना साकार न होता।”
उन्होंने आगे कहा,
“हम गर्व से भर गए हैं जब देखा कि जगह-जगह हमारे बेटे के पोस्टर लगे हैं। ये सिर्फ हमारे लिए नहीं, पूरे देश के लिए गर्व का पल है।”
उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ने दी बधाई, कहा- अंतरिक्ष विज्ञान में नया अध्याय
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा:
“शुभांशु शुक्ला की उपलब्धि से भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊर्जा मिलेगी। यह एक ऐतिहासिक दिन है। शुभकामनाएं और बधाइयां पूरे परिवार को।”
उन्होंने यह भी कहा कि इस सफलता से युवाओं को प्रेरणा मिलेगी कि मेहनत और समर्पण से कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है।
Axiom Mission 4: अमेरिका से उड़ान, भारत के लिए गौरव
Axiom-4 मिशनजिसमें ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला शामिल हैं, अमेरिका के NASA और निजी संस्था Axiom Space का साझा प्रयास है। इस मिशन का उद्देश्य स्पेस स्टेशन के भीतर अनुसंधान, तकनीकी परीक्षण और भविष्य के लिए आधार तैयार करना है।
शुभांशु की नियुक्ति इस बात का प्रतीक है कि भारत अब सिर्फ उपग्रह भेजने वाला देश नहीं, बल्कि मानव संसाधन भेजने वाला राष्ट्र बन चुका है।
शहर से गांव तक दिखा उत्साह, सीएमएस में बजाई गई घंटियां, बांटे गए लड्डू
लखनऊ स्थित CMS स्कूलजहां से शुभांशु ने शुरुआती शिक्षा प्राप्त की, वहां के बच्चों ने घंटियां बजाकर और ‘भारत माता की जय’ के नारों के साथ उनकी सफलता का जश्न मनाया।
विद्यालय प्रबंधन ने बताया कि शुभांशु हमेशा ही एक अनुशासित, गंभीर और ऊर्जावान छात्र रहे हैं।
स्कूल के पास स्थित कॉलोनियों में भी बच्चों ने हाथों में पोस्टर लिए जुलूस निकाले।
अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की बढ़ती शक्ति: एक नई उड़ान
पिछले कुछ वर्षों में भारत ने चंद्रयान, मंगलयान और गगनयान जैसे प्रोजेक्ट्स के ज़रिए वैश्विक अंतरिक्ष महाशक्तियों में अपना नाम शामिल किया है। अब, शुभांशु शुक्ला जैसे युवा अधिकारियों की अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष अभियानों में भागीदारी इस बात की पुष्टि करती है कि भारत अब स्पेस सुपरपावर बनने की राह पर तेज़ी से अग्रसर है।
लखनऊ बना अंतरराष्ट्रीय चर्चा का केंद्र
जिस तरह से लखनऊ का बेटा अंतरिक्ष में पहुंचा, उसने न केवल अपने शहर का, बल्कि उत्तर प्रदेश और पूरे भारत का नाम रौशन किया। सीएमएसशहर के बुद्धिजीवी, और यहां तक कि आम लोग सोशल मीडिया पर #Proudofshubhanshu ट्रेंड कर रहे हैं।
शहर भर में उत्सव का माहौल देखा जा रहा है।
समाज और परिवार में बनी प्रेरणा की छवि
आज शुभांशु शुक्ला सिर्फ एक अंतरिक्ष यात्री नहीं हैं, बल्कि वो हर उस भारतीय युवा के लिए प्रेरणा बन चुके हैं जो किसी भी क्षेत्र में अपना सर्वोच्च योगदान देना चाहता है।
उनके पिता ने कहा:
“हमने कभी नहीं सोचा था कि हमारा बेटा एक दिन अंतरिक्ष जाएगा। ये सिर्फ उसका नहीं, पूरे देश का सपना था।”
शुभांशु की सफलता से जुड़ी अन्य उपलब्धियां
शुभांशु शुक्ला भारतीय वायुसेना में ग्रुप कैप्टन के पद पर कार्यरत हैं।
उन्होंने फ्लाइट टेस्ट इंजीनियर के तौर पर कई उच्च स्तरीय मिशन सफलतापूर्वक पूरे किए।
अंतरिक्ष प्रशिक्षण के लिए उन्हें अमेरिका, रूस और फ्रांस भेजा गया था।
उन्हें IAF के सर्वोच्च तकनीकी और नेतृत्व प्रशिक्षणों का हिस्सा भी बनने का गौरव प्राप्त है।
अंतरिक्ष में भारत की नई उड़ान को मिली नई दिशा
आज शुभांशु शुक्ला जैसे वैज्ञानिकों और सैनिकों के ज़रिए भारत अंतरिक्ष की नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ रहा है। जहां पहले सिर्फ उपग्रह भेजे जाते थे, आज भारतीय नागरिक अंतरिक्ष में कदम रख रहे हैं।
भारत के लिए यह एक स्वर्णिम अवसर है। शुभांशु शुक्ला की उपलब्धि हमें यह सिखाती है कि लगन, मेहनत और देशभक्ति के साथ कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता। देश को उन पर गर्व है और यह सफलता आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बन जाएगी।