सांसद Chandrashekhar Azad पर यौन उत्पीड़न का विस्फोटक आरोप: पीड़िता बोली, ‘अब पीछे नहीं हटूंगी | News & Features Network

नगीना से लोकसभा सांसद और भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष Chandrashekhar Azad  एक बार फिर विवादों के घेरे में हैं। इस बार मामला बेहद गंभीर है—राष्ट्रीय महिला आयोग में उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज की गई है।

रोहिणी घावरी नामक पीएचडी स्कॉलर, जो मूल रूप से इंदौर के बीमा अस्पताल में कार्यरत एक सफाईकर्मी की बेटी हैं, ने यह सनसनीखेज आरोप लगाया है कि चंद्रशेखर ने शादी का झांसा देकर उनके साथ बार-बार शारीरिक संबंध बनाए और फिर धोखा दिया।


🟡 पीड़िता की दास्तान: ‘भरोसा किया, अब भुगत रही हूं’

रोहिणी ने अपनी लिखित शिकायत में कहा कि साल 2019 में हायर स्टडीज़ के लिए वह स्विट्ज़रलैंड गईं। वहीं पर उनकी मुलाकात चंद्रशेखर से हुई और दोनों के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ।

2021 से लगातार बातचीत और रिश्तों की गहराई बढ़ती गई। रोहिणी का दावा है कि चंद्रशेखर ने उन्हें यकीन दिलाया कि वे अविवाहित हैं और उन्हें ही अपनी जीवनसंगिनी बनाना चाहते हैं।

पीड़िता के अनुसार, चंद्रशेखर ने उन्हें कई बार दिल्ली के होटल और अपने द्वारिका स्थित घर बुलाया और हर बार यह कहा कि जल्दी ही शादी करेंगे। लेकिन बाद में उन्हें यह समझ में आया कि ये सब वादे सिर्फ शारीरिक लाभ उठाने के लिए थे।


🟢 सोशल मीडिया पर खुले आरोप: ‘मैं हूं विक्टिम नंबर 3’

इस पूरे घटनाक्रम में एक और सनसनी तब फैली जब रोहिणी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर खुले आरोप लगाते हुए खुद को ‘विक्टिम नंबर 3’ बताया।

उन्होंने लिखा:
उसके लिए बहन‑बेटियों की इज्जत की कोई कीमत नहीं… भरोसे में आकर बहुत बड़ी गलती कर दी। अब किसी भी पुरुष पर भरोसा नहीं कर पाऊंगी।”

पीड़िता का यह भी दावा है कि उन्होंने चंद्रशेखर के राजनैतिक अभियानों में भावनात्मक और भौतिक दोनों रूप से सहयोग दिया। उन्होंने कई बार चुनावी कार्यक्रमों, प्रेस कॉन्फ्रेंस और जनसभाओं में भी हिस्सा लिया।


🔴 महिला आयोग की त्वरित प्रतिक्रिया: चंद्रशेखर पर केस दर्ज

राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत संज्ञान लिया और आधिकारिक तौर पर शिकायत दर्ज की। सूत्रों के मुताबिक, आयोग जल्द ही चंद्रशेखर को नोटिस जारी कर पूछताछ करेगा।

चंद्रशेखर आज़ाद अब तक इस पूरे मामले पर खामोश हैं। उन्होंने कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन उनके करीबी सूत्रों के अनुसार, वे जल्द ही प्रेस के सामने आ सकते हैं।


🟣 रिश्ते से विश्वासघात तक: प्रेम, वादा और फिर भावनात्मक शोषण

पीड़िता के अनुसार, यह कोई एक-दो दिन की घटना नहीं थी, बल्कि तीन वर्षों तक चला एक भावनात्मक और शारीरिक शोषण का सिलसिला था।

रोहिणी का कहना है कि चंद्रशेखर ने उन्हें शुरू से अविवाहित बताकर उनका भरोसा जीता और फिर धीरे-धीरे उन्हें अपने निजी और राजनैतिक जीवन में शामिल किया।

“मैंने उनका हर कदम पर साथ दिया, लेकिन बदले में मिला सिर्फ धोखा, अपमान और पीड़ा,” पीड़िता ने कहा।


🔵 क्या यह एक नया ट्रेंड? सत्ता और ताकत का गलत इस्तेमाल

बीते कुछ वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां राजनीति में ऊंचे ओहदे पर बैठे नेताओं पर यौन शोषण के आरोप लगे हैं। सवाल उठता है कि क्या सत्ता और लोकप्रियता का ऐसा इस्तेमाल अब आम बात होती जा रही है?

चंद्रशेखर जैसे युवा नेताओं से समाज को बड़ी उम्मीदें होती हैं। लेकिन जब उन्हीं पर ऐसे आरोप लगते हैं, तो न केवल व्यक्तिगत छवि धूमिल होती है, बल्कि पूरा लोकतांत्रिक ढांचा भी सवालों के घेरे में आ जाता है।


🔶 राजनीतिक गलियारों में हलचल, विरोधियों ने साधा निशाना

जैसे ही यह खबर फैली, राजनीतिक गलियारों में भूचाल आ गया। विरोधी दलों ने इस मुद्दे को हाथों-हाथ लिया और चंद्रशेखर की पार्टी और विचारधारा पर सवाल खड़े कर दिए।

कई नेताओं ने यह भी कहा कि अब वक्त आ गया है कि राजनीतिक दल अपने भीतर की सफाई करें और ऐसे मामलों पर ‘शून्य सहनशीलता’ की नीति अपनाएं।


🟤 पीड़िता की चेतावनी: “अब पीछे नहीं हटूंगी”

अपने साहसिक बयान में रोहिणी ने कहा, “यह सिर्फ मेरी लड़ाई नहीं, हर उस लड़की की लड़ाई है जिसे झांसे में लेकर इस्तेमाल किया गया है। अब तो सच सामने आकर रहेगा।

उनकी यह चेतावनी साफ संकेत देती है कि यह मामला इतनी आसानी से खत्म होने वाला नहीं है। कानूनी लड़ाई शुरू हो चुकी है और इसकी गूंज आने वाले समय में संसद तक पहुंच सकती है।


🧷 क्या चंद्रशेखर आज़ाद अपनी छवि को बचा पाएंगे?

अब देखना यह है कि चंद्रशेखर इस मामले में कैसे प्रतिक्रिया देते हैं और क्या वे कानूनी तौर पर खुद को निर्दोष साबित कर पाएंगे?

हालांकि अभी तक उन्हें कोई आधिकारिक समन या गिरफ्तारी का सामना नहीं करना पड़ा है, लेकिन महिला आयोग की सक्रियता को देखते हुए यह कहना मुश्किल नहीं कि जांच तेज हो सकती है और सख्त कार्रवाई संभव है।


🟢 देश में कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा पर उठते सवाल

इस पूरे मामले ने एक बार फिर महिला सुरक्षा और ‘मी टू’ जैसे आंदोलनों की प्रासंगिकता को रेखांकित किया है। जब किसी शिक्षित और आत्मनिर्भर महिला के साथ ऐसा हो सकता है, तो सवाल उठता है कि गांव-देहात की साधारण लड़कियां कैसे खुद को सुरक्षित महसूस करें?


🚨 यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति या पार्टी का नहीं, बल्कि पूरे समाज का आईना है। जब तक ऐसे मामलों पर न्याय नहीं होगा, तब तक महिलाओं के आत्मविश्वास को चोट पहुंचती रहेगी। क्या चंद्रशेखर आज़ाद इस तूफान से खुद को बचा पाएंगे, या यह मामला उनके करियर का सबसे बड़ा झटका बनेगा—यह आने वाला वक्त बताएगा।

डिस्क्लेमर: यह खबर सोशल मीडिया पोस्ट्स और उपलब्ध जनसूचना के आधार पर तैयार की गई है। इसमें उल्लिखित आरोपों की पुष्टि संबंधित जांच एजेंसियों द्वारा की जानी बाकी है। इस समाचार की सत्यता की जिम्मेदारी हमारी नहीं है।

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