देश में पिछड़े वर्गों को उनके अधिकार दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जातीय जनगणना कराए जाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है। यह फैसला 1931 के बाद पहली बार लिया गया है, और इसे लेकर उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री एवं भाजपा ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष Narendra Kashyap ने मुज़फ्फरनगर के पचेड़ा रोड स्थित बारात घर में आयोजित “धन्यवाद मोदी सम्मेलन” में तीखी प्रतिक्रिया दी।
प्रधानमंत्री मोदी के फैसले से पिछड़े वर्गों में उत्साह की लहर
Narendra Kashyap ने कहा कि आज़ाद भारत में यह पहली बार हो रहा है कि जातीय आधार पर संपूर्ण जनगणना कराई जाएगी, जो कि पिछड़े, वंचित और उपेक्षित वर्गों के लिए एक न्यायपूर्ण क्रांति के समान है। उन्होंने मंच से जोर देकर कहा:
“94 सालों बाद मोदी राज में पिछड़ों को मिलेगा हक और पहचान। यह सिर्फ आंकड़ों की गणना नहीं है, बल्कि करोड़ों लोगों के भविष्य का दस्तावेज़ बनने वाला है।”
🎯 जातीय जनगणना क्यों है जरूरी?
Narendra Kashyap ने कहा कि 1931 में आखिरी बार ब्रिटिश सरकार द्वारा जातीय जनगणना कराई गई थी। तब से लेकर आज तक हर जनगणना में जाति के आधार पर जानकारी इकट्ठा नहीं की गई। उन्होंने साफ किया कि:
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मंडल आयोगजो 1980 में गठित हुआ, ने 1931 की जनगणना के आधार पर अनुमान लगाया कि भारत की 52% आबादी पिछड़े वर्ग से आती है।
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आयोग ने पिछड़ों के लिए सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में 27% आरक्षण की सिफारिश की थी।
लेकिन क्या यह आरक्षण पर्याप्त था?
कश्यप का कहना है, नहीं। क्योंकि अगर सही आंकड़े नहीं होंगे, तो योजनाएं भी आधी-अधूरी ही रहेंगी।
🧨 कांग्रेस पर सीधा प्रहार: “60 साल तक किया पिछड़ों से छलावा”
Narendra Kashyap ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि:
“कांग्रेस ने 60 वर्षों तक पिछड़े वर्गों को केवल झूठे वादों का पुलिंदा दिया। उनके शासन में जातीय जनगणना की हिम्मत नहीं दिखाई दी। हमेशा विरोध किया गया, ताकि पिछड़े वर्ग अपनी सही संख्या और स्थिति को न जान पाएं।”
कश्यप ने कांग्रेस के दोहरे रवैये की निंदा करते हुए कहा कि जब-जब जातीय जनगणना की मांग उठी, कांग्रेस ने अस्पष्ट बयान, राजनीतिक भ्रमऔर प्रशासनिक बहाने देकर पिछड़ों के साथ अन्याय किया।
🗣️ भाजपा का लक्ष्य – सभी को प्रतिनिधित्व और समानता
कश्यप ने आगे कहा कि भाजपा सरकार का उद्देश्य है:
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सामाजिक न्याय को मजबूत करना
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शैक्षणिक अवसरों में बराबरी
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नौकरियों में पारदर्शी भागीदारी
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सरकारी योजनाओं में समान लाभ
उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना से न केवल यह पता चलेगा कि कौन पिछड़ा है, बल्कि यह भी स्पष्ट होगा कि कौन वंचित रह गया है।
📍 “2021 में ही हो जाती जनगणना, पर कोविड ने डाला असर”
मंत्री Narendra Kashyap ने बताया कि सरकार ने पहले ही 2021 में यह जनगणना कराने का निर्णय लिया था, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण यह मुमकिन नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि जैसे ही स्थितियां सामान्य हुईं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिर से इस विषय को सकारात्मक पहल के साथ उठाया और अब इसे लेकर केंद्र सरकार पूरी तरह तैयार है।
🧑🤝🧑 सम्मेलन में भाजपा ओबीसी नेताओं की भारी मौजूदगी
मुज़फ्फरनगर के सम्मेलन में बड़ी संख्या में भाजपा नेता और कार्यकर्ता शामिल हुए। प्रमुख नामों में शामिल थे:
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जलिक – पश्चिम क्षेत्र ओबीसी मोर्चा के प्रभारी
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रूपेंद्र सैनी – क्षेत्रीय महामंत्री
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बिजेन्दर कश्यप – ओबीसी मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष
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सुंदरपाल – जिलाध्यक्ष
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जयकरण गुर्जर, मनोज पांचाल, रामकुमार कश्यप, संजय धीमान, इंद्र प्रजापति, मनोज पाल, देवेंद्र पाल, सचिन, हिमांशु सैनी, नरेंद्र प्रजापति, रोहित सैनी, अंकित, राम सेन पाल, अंकित उप्पल आदि कार्यकर्ता प्रमुख रूप से मौजूद रहे।
🔥 “अब कोई पिछड़ा नहीं रहेगा पीछे” – नरेंद्र कश्यप का संकल्प
कश्यप ने कहा कि यह सिर्फ एक जनगणना नहीं बल्कि समाजिक क्रांति की शुरुआत है। उन्होंने दावा किया कि यह पहल भारत के समाजिक ताने-बाने में ऐतिहासिक बदलाव लाएगी।
“अब तक जो लोग गुमनाम थे, उनकी पहचान होगी। जो योजनाओं से वंचित थे, उन्हें हक मिलेगा। जो नौकरियों से बाहर थे, उन्हें अवसर मिलेगा।”
🔍 सामाजिक समरसता की ओर मोदी सरकार का अगला कदम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली सरकार की यह नीति सामाजिक समरसता, समान विकास और ‘सबका साथ, सबका विकास’ के नारे को और मजबूत बनाती है।
यह निर्णय न केवल राजनीतिक दृष्टि से अहम है, बल्कि यह समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन का संकेत भी है।
“94 साल बाद हो रही जातीय जनगणना केवल आंकड़ों की प्रक्रिया नहीं, बल्कि करोड़ों पिछड़े वर्ग के लोगों के सम्मान और समान अवसर का युगांतकारी दस्तावेज़ बनने जा रही है। यह भारत के लोकतंत्र और संविधान के मूल आत्मा के साथ न्याय की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।”
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