Mainpuri ज़िले के बरनाहल कस्बे में उस समय हड़कंप मच गया जब एक फर्जी डॉक्टर की लापरवाही के चलते एक गर्भवती महिला की जान चली गई। मृतका आकांक्षा की मौत ने जिलेभर को झकझोर दिया है। महिला महज 24 वर्ष की थी और वह ढाई महीने की गर्भवती थी। आकांक्षा अपने मायके आई थी और अचानक हुई ब्लीडिंग की वजह से उसे स्थानीय ‘आशी क्लीनिक’ में भर्ती कराया गया। लेकिन इस क्लीनिक में कार्यरत डॉक्टर न तो पंजीकृत था और न ही उसके पास वैध डिग्री थी।
गर्भपात के बाद बिगड़ी तबीयत, कई अस्पतालों में भटकते रहे परिजन
आकांक्षा का कथित रूप से गर्भपात कराया गया, जो पूरी तरह अवैध प्रक्रिया थी। गर्भपात के दो दिन बाद ही उसकी तबीयत लगातार बिगड़ती चली गई। पहले सिरसागंज फिर मैनपुरी और आखिर में आगरा तक ले जाया गया, लेकिन उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ और आखिरकार उसकी मौत हो गई।
परिजनों के अनुसार क्लीनिक संचालक ने यह नहीं बताया कि आकांक्षा की स्थिति इतनी नाजुक है। यदि सही समय पर विशेषज्ञ चिकित्सकीय सहायता मिलती, तो उसकी जान बच सकती थी।
परिजनों का हंगामा, प्रशासन मौन
आकांक्षा की मौत की खबर फैलते ही परिजनों में कोहराम मच गया। गुस्साए परिजनों ने क्लीनिक के बाहर जमकर हंगामा किया। स्थानीय लोगों का भी गुस्सा फूटा। उनका कहना है कि यह कोई पहला मामला नहीं है। बरनाहल और आसपास के इलाकों में ऐसे कई अवैध क्लीनिक वर्षों से चल रहे हैं, जिन पर किसी प्रकार की निगरानी नहीं है।
बिना पंजीकरण, बिना डिग्री – चल रही मौत की दुकानें
मैनपुरी में फर्जी डॉक्टरों और बिना लाइसेंस चल रहे क्लीनिकों की भरमार है। जिला स्वास्थ्य विभाग की निष्क्रियता से ऐसे क्लीनिक बेखौफ होकर मासूम जिंदगियों से खिलवाड़ कर रहे हैं। आमतौर पर ग्रामीण और कम पढ़े-लिखे लोगों को निशाना बनाकर ये डॉक्टर खुद को विशेषज्ञ बताकर इलाज करते हैं।
आकांक्षा की मौत ने इन क्लीनिकों की असलियत को उजागर कर दिया है। सवाल यह भी है कि आखिर यह क्लीनिक इतने लंबे समय से कैसे संचालित हो रहा था? क्या स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत इसमें शामिल है?
एक और झटका: इंजेक्शन के बाद मासूम की भी गई जान
इसी दौरान कस्बा बेवर में एक और दर्दनाक हादसा हुआ। एक मासूम बच्चे को सामान्य बुखार होने पर इलाज के लिए पास के एक क्लीनिक पर ले जाया गया, जहां इंजेक्शन लगने के कुछ ही समय बाद उसकी मौत हो गई। परिजनों का कहना है कि बच्चे की तबीयत पहले से उतनी गंभीर नहीं थी, लेकिन इंजेक्शन के बाद अचानक उसकी हालत बिगड़ गई और कुछ ही मिनटों में उसने दम तोड़ दिया।
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पर उठे सवाल
दोनों ही घटनाओं में एक बात समान रही—बिना वैध लाइसेंस और डिग्री वाले लोग इलाज कर रहे थे। यह साफ दर्शाता है कि मैनपुरी जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी पूरी तरह से विफल है।
दोनों ही घटनाओं में एक बात समान रही—बिना वैध लाइसेंस और डिग्री वाले लोग इलाज कर रहे थे। यह साफ दर्शाता है कि मैनपुरी जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी पूरी तरह से विफल है। जब तक जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होती, तब तक ऐसी घटनाएं रुकने वाली नहीं हैं।
स्थानीय प्रशासन और पुलिस की भूमिका संदिग्ध
आम जनता का सवाल है कि यदि इतने वर्षों से ये क्लीनिक संचालित हो रहा था, तो क्या पुलिस और प्रशासन को इसकी भनक नहीं थी? क्या समय-समय पर होने वाले निरीक्षण सिर्फ दिखावा मात्र हैं?
पुलिस ने दोनों मामलों में शिकायतें दर्ज कर ली हैं लेकिन अभी तक किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी की पुष्टि नहीं हुई है। परिजनों को न्याय की उम्मीद अब कानून से नहीं बल्कि मीडिया और जनता के दबाव से है।
महिला सुरक्षा और मातृत्व स्वास्थ्य पर गंभीर असर
आकांक्षा की मौत ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की स्वास्थ्य सुरक्षा कितनी जोखिम में है। न केवल अवैध गर्भपात की प्रक्रिया अपनाई जा रही है, बल्कि यह भी देखा गया है कि इन क्लीनिकों पर न कोई इंफ्रास्ट्रक्चर है और न ही आपातकालीन सेवा।
जरूरी है सख्त कार्रवाई और स्वास्थ्य जागरूकता
जिला प्रशासन को अब नींद से जागने की जरूरत है। समय आ गया है कि ऐसे फर्जी डॉक्टरों और क्लीनिकों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। स्वास्थ्य विभाग को भी ग्रामीण इलाकों में जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है ताकि लोग इन झूठे डॉक्टरों के झांसे में न आएं।
आशी क्लीनिक पर कार्रवाई की मांग, आरोपी डॉक्टर की गिरफ्तारी की मांग
परिजनों ने साफ कहा है कि जब तक आशी क्लीनिक को सील नहीं किया जाता और वहां कार्यरत डॉक्टर को गिरफ्तार नहीं किया जाता, तब तक वे शांत नहीं बैठेंगे। मृतका आकांक्षा के भाई ने स्पष्ट कहा कि उनकी बहन की मौत लापरवाही नहीं बल्कि हत्या है।
जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर भी सवाल
जहां एक ओर मैनपुरी में दो जिंदगियों का नुकसान हुआ, वहीं दूसरी ओर स्थानीय जनप्रतिनिधियों की चुप्पी भी हैरान करने वाली है। न किसी विधायक ने बयान दिया, न किसी नेता ने पीड़ित परिवार से मिलने की जहमत उठाई। यह चुप्पी सवाल खड़े कर रही है।
एक महिला की मौत नहीं, यह पूरे सिस्टम की विफलता है
ये घटनाएं केवल आकांक्षा या उस मासूम की मौत नहीं हैं, ये पूरे स्वास्थ्य तंत्र की असफलता को दर्शाती हैं। अगर समय रहते सख्ती बरती गई होती, तो शायद आज ये दोनों जिंदगियां हमारे बीच होतीं।
जनता की मांग – फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ विशेष अभियान चलाया जाए
स्थानीय लोगों ने प्रशासन से यह मांग की है कि फर्जी डॉक्टरों और अवैध क्लीनिकों के खिलाफ विशेष अभियान चलाकर उन्हें बंद किया जाए और दोषियों को जेल भेजा जाए।
स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को न केवल सतर्कता बरतनी होगी, बल्कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी करनी होगी। मैनपुरी में हुई आकांक्षा की मौत और मासूम की जान जाने जैसी घटनाएं तभी रुक सकती हैं जब पूरे सिस्टम में जवाबदेही तय हो और फर्जी इलाज की फैक्ट्री पर लगाम लगे।