जब दुल्हनों ने फेरों से पहले कह दिया “ना”, बारात में मच गया बवाल! Mathura की दो शादियां बनी तमाशा🔥 | News & Features Network

मथुरा के टैंटीगांव स्थित फार्म हाउस में एक भव्य समारोह के दौरान वह सब कुछ हुआ जिसकी किसी ने कल्पना तक नहीं की थी। सज-धज कर आईं दुल्हनों ने फेरों से ऐन पहले शादी से इनकार कर दिया, जिससे बारात में अफरा-तफरी मच गई। घटना ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी और देखते ही देखते यह मामला पंचायतों और पुलिस तक जा पहुंचा।


🔶शादी की तैयारियों में जुटा था पूरा परिवार, फिर आई ये चौंकाने वाली खबर

आगरा के न्यू नगर का क्षेत्र की रहने वाली दो युवतियों की शादी, मथुरा के सुरीर कोतवाली क्षेत्र के एक गांव के निवासी व्यक्ति के दो बेटों से तय हुई थी। पहले से ही सभी रीति-रिवाज पूरे किए जा चुके थे। 7 जून को शादी की तिथि तय की गई थी और इसी के तहत टैंटीगांव के एक आलीशान फार्म हाउस में तैयारियां जोरों पर थीं। दुल्हनों के साथ उनके परिवारजन भी फार्महाउस में समय से पहुंच चुके थे। शादी का माहौल एकदम रंगीन था, डीजे की धुनों पर डांस, पकवानों की खुशबू और हंसी-मजाक के बीच किसी को यह अंदेशा भी नहीं था कि यह शाम ऐसा तूफान लेकर आएगी।


🔶जयमाला के पहले लिया गया बड़ा फैसला, दुल्हनों ने किया शादी से इनकार

जब जयमाला का समय आया और सभी मेहमान मंच की ओर देखने लगे, तभी दुल्हनों ने अपने परिवारवालों को किनारे ले जाकर शादी से मना करने की बात कह दी। यह सुनते ही लड़की पक्ष और लड़के पक्ष दोनों सकते में आ गए। पहले सभी ने इसे मजाक समझा, लेकिन जब दोनों युवतियां अपनी बात पर अड़ी रहीं तो माहौल गंभीर हो गया।


🔶दुल्हनों की फुफेरी बहनों ने भड़काया!

दूल्हा पक्ष ने आरोप लगाया कि यह फैसला दुल्हनों का नहीं बल्कि उनके साथ आईं फुफेरी बहनों का है। उनका कहना था कि इन बहनों ने समारोह के दौरान दूल्हों के बारे में गलत बातें कहकर दुल्हनों को भड़काया और उन्हें शादी के खिलाफ कर दिया।

दूल्हों के परिवार वालों ने समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन दोनों लड़कियां टस से मस नहीं हुईं। इस दौरान माहौल बेहद तनावपूर्ण हो गया। न सिर्फ दोनों परिवारों में कहासुनी हुई बल्कि मेहमानों में भी हलचल मच गई। कई बारातियों ने खाना छोड़कर कार्यक्रम स्थल छोड़ दिया।


🔶पंचायतें, पुलिस और तीन बजे तक चली बातचीत

स्थिति गंभीर होती देख स्थानीय पुलिस चौकी प्रभारी अजीत मलिक मौके पर पहुंचे। उन्होंने दोनों पक्षों से बातचीत की और विवाद को सुलझाने का प्रयास किया। रात करीब तीन बजे तक पंचायतों का दौर चलालेकिन जब दोनों लड़कियां अपनी बात से नहीं हटीं, तो आखिरकार लड़की पक्ष ने वापसी का फैसला लिया।

मांट क्षेत्र की सीओ गुंजन सिंह ने इस घटनाक्रम की पुष्टि की और बताया कि युवतियों को लड़के पसंद नहीं आए, इसलिए उन्होंने शादी करने से इंकार कर दिया। दोनों पक्षों के बीच अब आपसी समझौता हो चुका है।


🔶वधुओं की आज़ादी या सामाजिक अपमान? लोगों में बंटी राय

इस घटना के बाद पूरे इलाके में चर्चा का माहौल बन गया है। कई लोगों ने दुल्हनों के फैसले को ‘नारी सशक्तिकरण’ का उदाहरण माना, वहीं कुछ इसे परिवार और समाज की बेइज्जती के रूप में देख रहे हैं।

गांव में लोग कह रहे हैं कि अगर लड़कियों को लड़के पसंद नहीं थे, तो पहले ही इनकार कर सकती थीं। वहीं दूसरी ओर कुछ का कहना है कि शादी जैसे जीवनभर के रिश्ते में जबरदस्ती नहीं होनी चाहिए।

इस विवाद ने सोशल मीडिया पर भी अपनी जगह बना ली है। कुछ लोग इसे वायरल शादी ड्रामा बता रहे हैं तो कुछ इस पर मीम्स और वीडियो बनाकर फैला रहे हैं।


🔶क्या थी लड़कियों की आपत्ति? परदे के पीछे की कहानी

अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि युवतियों को दूल्हों में ऐसी क्या खामी नजर आई, जो वे फेरे लेने से पहले ही पीछे हट गईं। सूत्रों की मानें तो लड़कों की शारीरिक बनावट और व्यवहार को लेकर दुल्हनों ने सवाल उठाए थे। इसके अलावा, नौकरी और आर्थिक स्थिति को लेकर भी असंतोष जताया गया।


🔶इस तरह की घटनाएं पहले भी आ चुकी हैं सामने

यह पहला मामला नहीं है जब शादी के मंडप से किसी ने इनकार किया हो। हाल के वर्षों में उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में कई बार ऐसी घटनाएं सामने आई हैं जहां दुल्हन ने ऐन वक्त पर शादी तोड़ दी

कभी दूल्हा नशे में मिला, तो कभी उसके पास नौकरी नहीं थी। समाज में बढ़ती जागरूकता और लड़कियों की बढ़ती शिक्षा ने उन्हें अपने फैसले खुद लेने का साहस दिया है। लेकिन ऐसे फैसले पूरे परिवार और समाज पर क्या असर डालते हैं, यह बहस का विषय बन चुका है।


🔶परिवारों की स्थिति: अपमान, हानि और निराशा

इस घटनाक्रम से सबसे ज्यादा प्रभावित दूल्हों और उनके परिवार वाले हुए हैं। समाज में अपमानरिश्तेदारों की नाराजगी, आर्थिक नुकसान—ये सब उन्हें झेलना पड़ा। फार्म हाउस की बुकिंग, खाने-पीने का इंतजाम, डीजे, सजावट पर लाखों रुपये खर्च हो चुके थे।

अब सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या ऐसे मामलों में लड़की पक्ष पर कोई आर्थिक जिम्मेदारी बनती है? इस मुद्दे पर भी स्थानीय स्तर पर चर्चाएं तेज हैं।


🔶पुलिस की भूमिका और समाधान का रास्ता

चौकी प्रभारी अजीत मलिक और सीओ गुंजन सिंह की सक्रियता की सराहना की जा रही है। उन्होंने न सिर्फ माहौल को शांतिपूर्ण रखा बल्कि विवाद को सुलझाने में भी अहम भूमिका निभाई। दोनों पक्षों ने पुलिस की मौजूदगी में आपसी सहमति से शादी को रद्द किया और किसी प्रकार की कानूनी कार्यवाही नहीं की गई।


🔶क्या अब भी होंगे रिश्ते तय बिना सोच-विचार के?

यह घटना आने वाले समय में शादी की परंपराओं और रिश्तों की प्रक्रिया पर गहरा असर डाल सकती है। अब परिवार शायद पहले से ज्यादा सतर्कता से रिश्ते तय करेंगे, और लड़का-लड़की को बेहतर जानने और समझने का मौका दिया जाएगा।


टैंटीगांव की इस घटना ने समाज में एक बड़ी बहस को जन्म दिया है—क्या रिश्तों की मजबूरी, सामाजिक दबाव और आर्थिक हानि के बावजूद किसी को अपनी इच्छा के खिलाफ शादी करनी चाहिए? या फिर दुल्हनों ने सही समय पर सही फैसला लिया? सवाल कई हैं, जवाब शायद वक्त देगा।

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