आगरा के ट्रांस यमुना क्षेत्र के राकेश नगर में उस वक्त सनसनी फैल गई जब रविवार रात 10 बजे 26 वर्षीय मजदूर चंद्रेश का शव उसके ही घर में फंदे पर लटका मिला। इस घटना ने पूरे मोहल्ले को हिला कर रख दिया। परिजनों का दावा है कि यह आत्महत्या नहीं, बल्कि एक सोची-समझी साजिश के तहत की गई हत्या है, जिसे आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की गई है।
परिवार का आरोप: चंद्रेश को मारा गया, फिर शव को फंदे पर लटकाया गया
परिवार का स्पष्ट आरोप है कि चंद्रेश की हत्या की गई और बाद में उसे आत्महत्या की शक्ल देने के लिए फांसी पर लटकाया गया। इससे भी चौंकाने वाली बात यह है कि परिजन पुलिस की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठा रहे हैं।
भाई पर पहले हुआ जानलेवा हमला, पुलिस बनी रही मूकदर्शक
परिवार की पीड़ा यहीं नहीं रुकी। चंद्रेश के भाई बहोरन सिंह पर 1 जून को जानलेवा हमला हुआ था। उनके अनुसार, वह अपने घर के बाहर बैठे हुए थे, तभी मोनू सविता और अमित यादव हथियारों के साथ पहुंचे और फायरिंग शुरू कर दी। अमित यादव का एक फायर मिस हो गया, लेकिन हमले का इरादा स्पष्ट था। उनके साथ रेवी यादव और कुछ अन्य युवक भी थे।
बहोरन ने किसी तरह जान बचाकर खुद को घर में बंद कर लिया। इस हमले के बावजूद, 29 दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस ने किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया।
पुलिस की दबिश और परिवार को धमकी, सुरक्षा की तलाश में घर छोड़ने को मजबूर
20 जून को पुलिस बहोरन के घर पर दबिश देने पहुंची। वह उनके परिचित लवकुश की तलाश कर रही थी, जो कुछ दिनों के लिए उनके घर में रह रहा था लेकिन अब जा चुका था। आरोप है कि पुलिस ने घर में मौजूद महिलाओं और अन्य सदस्यों को धमकाया और आतंकित किया।
इस भय के कारण बहोरन का पूरा परिवार घर छोड़कर सिकंदरा क्षेत्र में जाकर रहने लगा।
लेकिन चंद्रेश यहीं रुक गया और दो दिन तक नहीं आया तो ममता पहुंची घर, फिर मिला खौफनाक दृश्य
परिवार के सभी सदस्य जब दूसरे इलाके में शिफ्ट हो गए थे, तब चंद्रेश कभी-कभी सोने के लिए घर आ जाता था। लेकिन दो दिन से वह न तो मिलने आया और न ही संपर्क में था। बहन ममता जब घर पहुंची, तो मुख्य दरवाजे पर ताला लगा था। ताला खोलकर जैसे ही वह अंदर गई, उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई। चंद्रेश कमरे में फांसी पर झूल रहा था।
घटना स्थल का मंजर: एक मां की चीख और मोहल्ले में मातम
ममता की चीख सुनकर आसपास के लोग और परिवार के अन्य सदस्य मौके पर पहुंचे। मातम का माहौल पसर गया।
परिजन बोले- यह आत्महत्या नहीं, हत्या है
परिजनों ने एक स्वर में कहा कि चंद्रेश इतना कमजोर नहीं था कि आत्महत्या कर ले। उन्होंने आरोप लगाया कि मोनू सविता, अमित यादव और रेवी यादव ने ही चंद्रेश की हत्या की और पुलिस को भ्रम में डालने के लिए शव को फंदे पर लटका दिया गया।
पुलिस की भूमिका संदेह के घेरे में, उत्पीड़न के भी लगाए गए आरोप
घटना के बाद परिजनों ने कुछ पुलिसकर्मियों पर भी उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि जो लोग पहले ही पीड़ित हैं, पुलिस उन पर ही दबाव बनाकर मामले को दबाना चाहती है।
एसीपी पियूष कांत राय का बयान: दो दिन पुराना शव, जांच जारी
एसीपी पियूष कांत राय ने बताया कि शव दो दिन पुराना प्रतीत हो रहा है और वह फंदे पर लटका मिला। उन्होंने कहा कि मौत के वास्तविक कारण का पता पोस्टमार्टम रिपोर्ट से चलेगा। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि मृतक के घर पर पूर्व में एक वांछित अभियुक्त का आना-जाना था, जिसकी तलाश में पुलिस गई थी।
पूर्व में आपराधिक पृष्ठभूमि वालों से जुड़ा था कोई संपर्क? पुलिस की एक और जांच की दिशा
हालांकि पुलिस ने यह भी संकेत दिए हैं कि चंद्रेश के संपर्क में पूर्व में वांछित अभियुक्त था, लेकिन यह सवाल अब उठने लगा है कि क्या इसी वजह से उसे निशाना बनाया गया?
स्थानीय लोग बोले – परिवार को मिला ही नहीं न्याय, दबाव में है सब कुछ
राकेश नगर के निवासियों का कहना है कि पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिल रहा है। पहले बहोरन पर हमला और फिर चंद्रेश की मौत, यह कोई संयोग नहीं हो सकता।
आरोपी अब भी फरार, कानून व्यवस्था पर उठे सवाल
जिस तरह से आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं और पुलिस की कार्रवाई केवल “तलाश” तक सीमित है, यह कहीं न कहीं कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है।
पड़ोसियों ने भी जताई हत्या की आशंका, बोले- चंद्रेश परेशान रहता था
पड़ोसियों का भी कहना है कि चंद्रेश पिछले कुछ दिनों से परेशान था। पुलिस की दबिश और सामाजिक दबाव का असर उस पर साफ दिखता था।
क्या चंद्रेश बन गया साजिश का शिकार? मौत या मर्डर के पीछे की परतें खुलनी बाकी
इस पूरे मामले में कई ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब अब तक सामने नहीं आया है। चंद्रेश की मौत अगर आत्महत्या थी, तो उसके पीछे क्या कारण था? और अगर हत्या थी, तो आखिर यह सब किसने और क्यों किया?
यह मामला आगरा में कानून व्यवस्था और पुलिसिया कार्रवाई की गंभीरता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। एक मजदूर की संदिग्ध मौत, उस पर पहले से हमला झेल चुके भाई का खुलासा, और पुलिस द्वारा परिवार पर दबाव—यह सब मिलकर एक गहरी साजिश की ओर इशारा कर रहे हैं। अब निगाहें प्रशासन पर हैं कि वह इस मामले की निष्पक्ष जांच कर न्याय सुनिश्चित कराए, ताकि चंद्रेश को न्याय और परिवार को सुकून मिल सके।