Etawah ज़िले के दांदरपुर गांव में चल रही भागवत कथा अब विवादों के घेरे में आ गई है। कथावाचक मुकुट मणि यादव और उनके साथी संत सिंह यादव पर हुए हमले के बाद न केवल पुलिस हरकत में आई बल्कि इस पूरे मामले में नया मोड़ उस समय आ गया जब कथावाचक के दो अलग-अलग आधार कार्ड सामने आए। एक में नाम है मुक्त सिंहऔर दूसरे में मुकुत मणि अग्निहोत्री।
यह खुलासा उस समय हुआ जब पीड़ित कथावाचक द्वारा जाति छिपाकर ब्राह्मण समाज के नाम पर कथा करने का आरोप आयोजकों ने लगाया। वहीं इस मुद्दे ने सोशल मीडिया से लेकर सियासी गलियारों तक गर्माहट पैदा कर दी।
#घड़ी इनके बाल काटे,इनपर मूत्र का छिड़काव किया और बोला अब श्रेष्ठ लोगो के मूत्र तुम पर पड़ गए अब तुम पवित्र हो गए.देश में आज भी ऐसी कुंठित संकुचित सोच जीवित है? क्या सीख रही हैं अगली पीढ़ी?? #वायरल #जाति pic.twitter.com/gty9ouuf6s
– समाचार और सुविधाएँ नेटवर्क (@newsnetmzn) 23 जून, 2025
भागवत कथा बनी बवाल का कारण, जाति छिपाने के आरोप से मचा हड़कंप
23 जून को इटावा के बकेवर थाना क्षेत्र के गांव दांदरपुर में भागवत कथा का आयोजन किया गया था। कथावाचक मुकुट मणि यादव, जो सिविल लाइन, इटावा के निवासी हैं, कथा वाचन कर रहे थे। ग्रामीणों का आरोप है कि कथावाचक ने जाति छुपाकर खुद को अग्निहोत्री ब्राह्मण बताया और इसी पहचान के साथ कथा कहने आए।
आयोजक पाठक बाबा ने कथावाचक पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने खुद को अग्निहोत्री ब्राह्मण बताया था और फर्जी आधार कार्ड दिखाया। “अब जब सच्चाई सामने आ गई है, तो उनके खिलाफ भी वैसी ही कार्रवाई होनी चाहिए जैसी लड़कों पर हुई है।”
गांव में हिंसा, कथावाचक के बाल काटे, चार की गिरफ्तारी
जब कथावाचक की वास्तविक जाति उजागर हुई, तो कुछ ग्रामीणों ने आक्रोश में आकर कथावाचक के बाल काट दिए और मारपीट की। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
इटावा एसएसपी ब्रजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि “अपर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण श्रीश चंद की अगुवाई में गहन जांच चल रही है, और अब तक चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है।”
‘हमने उनके पैर तक छुए’: परीक्षित जयप्रकाश तिवारी का बयान
कथा परीक्षित जयप्रकाश तिवारी ने बेहद भावुक होकर बताया, “हमको परीक्षित बनाया गया था। हमने तो उनके पैर भी छुए थे। हमारी पत्नी ने भी उन्हें बहुत आदर दिया। लेकिन जब हमें पता चला कि वो ब्राह्मण नहीं, यादव समाज से हैं, तो हमें धोखा महसूस हुआ।“
उन्होंने आगे कहा, “कुछ लड़कों ने उनकी चोटी काट दी। हमने मना किया, लेकिन वह नहीं माने। अब तो डर का माहौल है, कोई कथा कहने को तैयार नहीं।”
महिलाओं ने कथावाचक पर लगाए छेड़छाड़ के आरोप, एसएसपी ऑफिस में हंगामा
इस विवाद में नया मोड़ तब आया जब कुछ महिलाएं एसएसपी ऑफिस पहुंचीं और कथावाचक पर छेड़छाड़ के गंभीर आरोप लगाए। यह आरोप पुलिस जांच के दायरे में हैं, लेकिन इससे मामले की संवेदनशीलता और भी बढ़ गई है।
उत्तर प्रदेश ब्राह्मण समाज महासभा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण दुबे ने एसएसपी से मुलाकात कर कहा कि “यह मामला एकतरफा कार्रवाई का प्रतीक बन गया है। कथावाचक के फर्जी आधार कार्ड और महिलाओं के आरोपों की भी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।”
दोहरे आधार कार्ड से बढ़ी शक की सुई, क्या कथावाचक ने की पहचान की धोखाधड़ी?
जब कथावाचक मुकुट मणि यादव के दो आधार कार्ड सामने आए—एक में नाम “मुक्त सिंह” और दूसरे में “मुकुट मणि अग्निहोत्री”—तो पुलिस की जांच तेज़ हो गई। सवाल उठ रहे हैं कि क्या कथावाचक ने पहचान छुपाकर कथा कहने की साज़िश रचीऔर यदि हां, तो इसमें किन-किन की भूमिका थी।
पुलिस अधिकारी इस बिंदु की जांच कर रहे हैं कि दो आधार कार्ड कैसे बनेऔर क्या इसमें कोई आपराधिक मंशा थी।
सियासी गलियारों में भी हलचल, अखिलेश यादव ने की मुलाकात
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भी कथावाचक मुकुट मणि से मुलाकात की और इस मामले को जातीय भेदभाव की संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि “जाति के आधार पर किसी के साथ ऐसा बर्ताव निंदनीय है, और सरकार को सख्त कदम उठाने चाहिए।”
हालांकि, अब जब कथावाचक के दो आधार कार्ड सामने आ चुके हैं, तो विपक्ष की ओर से भी बयानबाजी को लेकर दोहरा मापदंड देखा जा रहा है।
क्या कहती है पुलिस, अब आगे क्या?
इटावा पुलिस के अनुसार, दोनों पक्षों की जांच समान रूप से की जा रही है। कथावाचक की पहचान, दो आधार कार्ड, महिलाओं के आरोप—सभी बिंदुओं की विवेचना में कोई पक्षपात नहीं किया जाएगा।
गांव में फिलहाल तनावपूर्ण शांति बनी हुई है, और जिला प्रशासन ने अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया है ताकि कोई और अप्रिय घटना न घटे।
क्या यह मामला धर्म के नाम पर धोखाधड़ी का है या जातीय असहिष्णुता का?
इस पूरे मामले में जहां एक ओर कथावाचक पर जाति छुपाकर धार्मिक अनुष्ठान कराने का आरोप है, वहीं दूसरी ओर जातीय हिंसा को लेकर समाज में आक्रोश है। दोनों ही पक्षों की जाँच करना पुलिस के लिए चुनौतीपूर्ण है।
अब यह देखना अहम होगा कि जांच के नतीजे क्या सामने आते हैं और दो आधार कार्ड की सच्चाई क्या बयां करती है।
इटावा कथा विवाद अब केवल एक साधारण धार्मिक कार्यक्रम का मामला नहीं रह गया है, बल्कि यह एक बड़ा सामाजिक और प्रशासनिक संकट बन चुका है। जहां कथावाचक की पहचान और नियत पर सवाल उठ रहे हैं, वहीं कथित जातीय भेदभाव भी चर्चा का विषय है। ऐसे में जरूरी है कि प्रशासन निष्पक्ष जांच करे और समाज में भरोसे की बहाली करे।