उत्तर प्रदेश के औद्योगिक शहर Kanpur के चर्चित अधिवक्ता दीनू उपाध्याय की भतीजी की संदिग्ध मौत के चार साल पुराने मामले ने एक बार फिर सुर्खियां बटोर ली हैं। डीसीपी सेंट्रल एसके सिंह ने नवाबगंज थाना प्रभारी को इस केस की नई सिरे से जांच करने के सख्त निर्देश दिए हैं। पुलिसिया जांच के दायरे में अब पुराने अफसर और वायरल ऑडियो भी शामिल हो गए हैं, जिससे यह मामला पहले से ज्यादा गंभीर और पेचीदा हो गया है।


क्या था पूरा मामला? चार साल पहले की वो काली रात

वर्ष 2021 में दीनू उपाध्याय की भतीजी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। परिवार ने बिना ज्यादा कानूनी प्रक्रिया के, जल्दीबाजी में अंतिम संस्कार कर दिया था। उस वक्त पुलिस ने जांच शुरू की लेकिन कोई ठोस सबूत न मिलने के कारण मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

लेकिन अब—चार साल बाद—कुछ नए सबूत सामने आए हैं जिन्होंने पुलिस और प्रशासन को हिला कर रख दिया है


घर ले जाने पर दीनू की भावुक स्वीकारोक्ति: “कर्मों का फल मिल रहा है”

हाल ही में जब किसी मामले में दीनू को रिमांड पर घर लाया गयातो वह छत पर जाकर बुरी तरह रो पड़ा। गवाहों के अनुसारउसने भतीजी का नाम लेकर खुद को कर्मों का दोषी बताया और कहा कि जो कुछ हुआ, वह कर्मों का फल है। इस गंभीर कबूलनामे ने पुलिस को झकझोर दिया और मामले की फिर से जांच की नींव रखी गई


वायरल ऑडियो से मचा हड़कंप: चौकी इंचार्ज आदित्य बाजपेई फिर सवालों के घेरे में

सबसे बड़ा धमाका तब हुआ जब सोशल मीडिया पर एक वायरल ऑडियो सामने आया। यह ऑडियो उस वक्त के चौकी इंचार्ज आदित्य बाजपेई का बताया जा रहा है, जिसमें वह दीनू उपाध्याय के परिवार से भतीजी की मौत को लेकर बातचीत कर रहे हैं। यह ऑडियो पहले भी वायरल हुआ था, लेकिन अब जब नए सबूत सामने आए हैं, तब इसकी प्रासंगिकता और बढ़ गई है

गौर करने वाली बात यह है कि आदित्य बाजपेई को दोबारा उसी चौकी की जिम्मेदारी सौंपी गई हैजहां से यह मामला जुड़ा है। अब उनकी भूमिका पर फिर से सवाल उठने लगे हैं। क्या उन्होंने पहले जांच में ढिलाई बरती थी? क्या वे किसी प्रभाव में आकर सच्चाई को दबा रहे थे? पुलिस इस दिशा में भी गंभीरता से जांच कर रही है।


डीसीपी सेंट्रल की चेतावनी: “जो भी तथ्य सामने आएंगे, कार्रवाई तय”

डीसीपी सेंट्रल एसके सिंह ने स्पष्ट किया है कि अब तक जो भी नए तथ्य सामने आए हैं, उन्हें पुख्ता सबूत मानकर जांच आगे बढ़ाई जा रही है। उनके अनुसार, अब मामले में हर एंगल से जांच की जाएगीचाहे वह पुलिस की भूमिका हो, परिवार की चुप्पी या दीनू की कथित स्वीकारोक्ति।

उनका कहना है, “किसी को बख्शा नहीं जाएगा। यदि चौकी इंचार्ज की भूमिका संदिग्ध पाई गई, तो उसके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।”


दीनू उपाध्याय कौन हैं? और क्यों इतना संवेदनशील है यह केस

दीनू उपाध्याय कानपुर के एक जाने-माने अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता माने जाते हैं। उनके खिलाफ पहले भी कई गंभीर आरोपों की चर्चा होती रही है, लेकिन अब उनकी भतीजी की मौत का यह मामला उन्हें पूरी तरह से कानूनी घेरे में ला सकता है।

लोगों के मन में सवाल यह भी उठ रहा है कि अगर दीनू ने वाकई छत पर स्वीकार किया कि उसे अपने कर्मों का फल मिल रहा है, तो क्या यह सीधा अपराध की स्वीकारोक्ति नहीं है? और क्या इससे पहले की जांच में कोई जानबूझ कर गड़बड़ी की गई थी?


नवाबगंज पुलिस के लिए अग्निपरीक्षा: क्या न्याय मिलेगा मृतका को?

कानपुर के नवाबगंज थानाजो पहले भी इस केस को संभाल रहा था, अब फिर से जांच के केंद्र में है। इस बार सार्वजनिक और मीडिया की नजरें पुलिस की हर कार्रवाई पर हैं। परिवार की चुप्पी और पुलिस की पुरानी भूमिका इस बार अगर फिर से सवालों के घेरे में आती है, तो यह यूपी पुलिस के लिए छवि का गंभीर सवाल बन सकता है।

लोग अब यह जानना चाहते हैं कि क्या सच्चाई सामने आएगी? क्या मृतका को चार साल बाद न्याय मिलेगा? और क्या इस बार पुलिस निष्पक्ष जांच कर पाएगी?


भविष्य की राह: जांच से निकलेगा सच या फिर होगा दबाव में फैसला?

इस समय पूरे कानपुर में इस केस को लेकर समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं। कुछ लोग इसे पारिवारिक रहस्य बता रहे हैं, तो कुछ इसे राजनीतिक दबाव का परिणाम मान रहे हैं। पुलिस के लिए यह केस अब सिर्फ एक मौत की जांच नहीं, बल्कि साख की लड़ाई बन चुका है।


यह देखना बेहद अहम होगा कि क्या नवाबगंज थाना इस बार जांच में ईमानदारी बरतता है या फिर चार साल पुरानी कहानी एक बार फिर अधूरी रह जाएगी। दीनू उपाध्याय की भतीजी की मौत के इस रहस्यमयी केस में हर नया सबूत, हर वायरल ऑडियो, और हर कबूलनामा, अब बन चुका है एक निर्णायक कड़ी—जो या तो इंसाफ दिलाएगा, या फिर एक और केस फाइल बनकर दब जाएगा।

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