छाता (Mathura): मथुरा जिले के छाता उप डाकघर में हुआ फर्जी डाक टिकट घोटाला अब एक बड़ा प्रशासनिक और जनविश्वास का संकट बन चुका है। डाकघर के कर्मचारियों द्वारा लाखों रुपये के फर्जी टिकट लगाकर डाक भेजने का यह मामला अब पाँच महीने बाद भी सिर्फ फाइलों में सिमटा है। दो कर्मचारी निलंबित हो चुके हैं, लेकिन अब तक चार्जशीट तक जारी नहीं हुई है।


हर दिन 1500 से अधिक फर्जी डाक की बुकिंग, फिर भी अधिकारियों की चुप्पी!

20 दिसंबर 2024 के आसपास छाता उप डाकघर से प्रतिदिन 1500 से अधिक डाक बुक की जा रही थी, जबकि वास्तविकता यह थी कि उस समय डाक टिकट ही उपलब्ध नहीं थे। ऐसे में यह स्पष्ट हो गया कि कोई बड़ी साजिश रची जा रही थी। कर्मचारियों ने नकली टिकट लगाकर यह डाक भेजी, जिससे विभाग को भारी नुकसान हुआ।

30 दिसंबर को जब यह मामला उच्चाधिकारियों के संज्ञान में आया, तो तत्कालीन उप डाकपाल मदन लाल और क्लर्क मोहित को निलंबित कर दिया गया। इसके बाद 10 जनवरी 2025 को तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाई गई, जिसे तीन माह में रिपोर्ट देने का आदेश दिया गया था।


पाँच महीने में भी जांच अधूरी, जनता में रोष, अफसरों पर सवाल

पाँच महीने बीत जाने के बावजूद जांच की कोई ठोस रिपोर्ट सामने नहीं आई है। डाक विभाग की अंदरूनी लापरवाही का आलम यह है कि अब तक न तो चार्जशीट दी गई है, न ही किसी तरह की कार्यवाही हुई है। आम जनता में डाकघर को लेकर अब गंभीर अविश्वास पनप चुका है।

छाता क्षेत्र के ग्राहकों ने डाकघर से दूरी बनाना शुरू कर दिया है। जहां पहले लोग बचत खाता खोलने में रुचि लेते थे, वहीं अब कई लोग अपने खाते बंद करवा रहे हैं। सोमवार को स्थानीय निवासी सुनील, मोनूऔर दीपू ने अपना खाता बंद कर दूसरे डाकघर में खाता खोलने की बात कही।


भ्रष्टाचार पर डाक अधीक्षक की चुप्पी, बढ़ रही शिकायतें

प्रवर डाक अधीक्षक विजेंद्र ने बताया कि “जांच प्रक्रिया जारी है, जल्द ही रिपोर्ट आने की संभावना है।” लेकिन जनता अब इस प्रकार के आश्वासनों से थक चुकी है। रिपोर्ट की प्रतीक्षा करते-करते जनता का धैर्य अब जवाब देने लगा है।

विभागीय सूत्रों के अनुसार, अंदर ही अंदर कर्मचारियों में भी इस घोटाले को लेकर चर्चा गर्म है। कुछ लोगों का कहना है कि यदि समय रहते कठोर कार्यवाही होती, तो जनता का भरोसा बरकरार रहता।


आधार कार्ड में भी घोटाले की बू, किसानों की जेब पर डाका

छाता डाकघर में केवल टिकट घोटाला ही नहीं, बल्कि आधार कार्ड से संबंधित भ्रष्टाचार के आरोप भी सामने आ रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के जिलाध्यक्ष संजय पाराशर ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर शिकायत दर्ज करवाई कि डाकघर में आधार कार्ड बनाने के लिए 200 से 500 रुपये तक अवैध रूप से वसूले जा रहे हैं।

22 मई को किसान कन्हैया लाल जब आधार कार्ड में सुधार कराने पहुंचे, तो उनसे पैसे लेकर टोकन तो दे दिया गया, लेकिन सुधार नहीं किया गया। इस मामले की शिकायत सीधे जिलाधिकारी से की गई है।


डाक विभाग की योजनाओं पर संकट, बचत योजनाओं से हट रहा विश्वास

छाता डाकघर की इस घटना ने भारत सरकार की डाक आधारित बचत योजनाओं पर भी गहरा असर डाला है। जहां एक ओर सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में बचत योजनाओं को बढ़ावा देना चाहती है, वहीं दूसरी ओर ऐसे भ्रष्टाचार जनता के विश्वास को पूरी तरह तोड़ रहे हैं।

छाता के स्थानीय निवासियों का कहना है कि यदि समय रहते जांच पूरी कर दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो लोग डाकघर की योजनाओं से पूरी तरह मुंह मोड़ लेंगे। पहले ही डाकघर में भीड़ कम होने लगी है और नए खाते खुलवाने वालों की संख्या में भारी गिरावट देखी जा रही है।


क्या है आगे की राह?

डाक विभाग को अब इस पूरे मामले में पारदर्शिता लानी होगी। जनता को यह बताना जरूरी है कि फर्जी टिकट घोटाले के दोषियों को किस प्रकार सजा दी जाएगी। यदि इस प्रकार की घटनाओं को नजरअंदाज किया गया, तो न सिर्फ छाता, बल्कि देश भर में डाक विभाग की साख को गहरी चोट पहुंच सकती है।

सरकार और प्रशासन को चाहिए कि ऐसे गंभीर मामलों में त्वरित और निष्पक्ष जांच कराई जाए और जनता के सामने स्पष्ट रिपोर्ट रखी जाए। साथ ही, जिन ग्राहकों ने डाकघर में खाता खोला है, उन्हें सुरक्षा और पारदर्शिता का आश्वासन दिया जाए।


छाता डाकघर में फर्जी डाक टिकट घोटाला न केवल प्रशासनिक उदासीनता का प्रतीक बन गया है, बल्कि यह आम जनता के विश्वास पर भी चोट है। पाँच महीने में न जांच पूरी हुई, न दोषियों को सजा मिली, ऐसे में यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो डाकघर का अस्तित्व ही खतरे में पड़ सकता है।

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