वाराणसी के रोहनिया क्षेत्र से एक और हैरान कर देने वाली साइबर ठगी की घटना सामने आई है। कादीपुर निवासी पूनम नामक महिला को ठगों ने शातिराना तरीके से 98 हजार रुपये की चपत लगा दी। ठगी का यह मामला इसलिए भी चौंकाने वाला है क्योंकि इसमें एक आशा कार्यकर्ता की संलिप्तता भी संदेह के घेरे में है।

आशा कार्यकर्ता बिंदू देवी ने दिया नंबर, फिर शुरू हुई साजिश

पीड़िता पूनम के अनुसार, बिंदू देवी नाम की आशा कार्यकर्ता ने उसे एक मोबाइल नंबर उपलब्ध कराया और यह कहा कि यदि वह उस नंबर पर अपना बैंक डिटेल्स शेयर करेगी तो सरकार की तरफ से प्रसव के बाद मिलने वाला आर्थिक अनुदान उसे प्राप्त हो जाएगा। पूनम, जो हाल ही में माँ बनी है, सरकारी सहायता की उम्मीद में इस झांसे में आ गई।

ओटीपी के जरिए उड़ाए गए रुपये, मोबाइल कॉल बना धोखे का जरिया

शनिवार को पूनम ने जैसे ही उस संदिग्ध नंबर पर अपने बैंक विवरण साझा किए, उसके मोबाइल पर एक ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) आया। थोड़ी ही देर में एक फोन आया और कॉलर ने पूनम से वह ओटीपी मांगा। सरकारी अनुदान के बहाने उसे भरोसे में लेकर ओटीपी पूछा गया, और जैसे ही उसने वह साझा किया, उसके खाते से दो बार में कुल ₹98,000 रुपये निकाल लिए गए।

पूनम का भरोसा टूटा, पति सोनू ने दर्ज कराई शिकायत

पूनम के पति सोनू, जो पेशे से राजगीर हैं, ने तुरंत रोहनिया थाने में जाकर मामले की जानकारी दी। थाने की पुलिस ने प्राथमिक जांच के बाद उन्हें साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराने के लिए भेजा। इस मामले में आशा कार्यकर्ता की भूमिका की भी जांच की जा रही है।


सकलपुर का विशाल यादव उर्फ सनी आखिरकार पकड़ा गया

इसी दिन एक और बड़ी सफलता पुलिस के खाते में दर्ज हुई जब सेवापुरी के कपसेठी थाने की पुलिस ने 25 हजार रुपये के इनामी बदमाश विशाल यादव उर्फ सनी यादव को धर दबोचा। आरोपी सकलपुर गांव का रहने वाला है और लंबे समय से पुलिस की नजर से बचता फिर रहा था।

विशाल यादव पर गोवध और पशु क्रूरता अधिनियम में केस दर्ज

कपसेठी थानाध्यक्ष ने जानकारी दी कि विशाल यादव पशु तस्करी के मामले में वांछित था। गोवध निवारण अधिनियम और पशु क्रूरता अधिनियम के तहत उस पर मुकदमा दर्ज था। वह लंबे समय से पुलिस की गिरफ्त से बाहर था और अंततः एक गुप्त सूचना के आधार पर उसे गिरफ्तार किया गया।

विशाल का भाई और साथी पहले ही जा चुके हैं जेल

इससे पहले 9 अप्रैल को संरक्षित मवेशियों की तस्करी के आरोप में विशाल यादव के भाई पंकज यादव और उसके साथी शशिकांत सिंह उर्फ विक्की को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था। उनके पकड़े जाने के बाद से विशाल फरार था और पुलिस लगातार उसकी तलाश कर रही थी।

पुलिस ने गुप्त सूचना पर की कार्रवाई, बदमाश गिरफ्तार

विशाल को पकड़ने के लिए पुलिस ने अलग से टीम गठित की थी। शनिवार को पुलिस को सूचना मिली कि विशाल सकलपुर के पास छिपा हुआ है। तत्परता दिखाते हुए पुलिस ने वहां घेराबंदी कर उसे गिरफ्तार कर लिया। पुलिस के अनुसार, विशाल ने पूछताछ में कई अहम जानकारियाँ दी हैं जिनके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।


साइबर अपराध का शिकार अधिकतर महिलाएं, लापरवाही या मजबूरी?

पूनम जैसी महिलाओं के साथ हो रही ऐसी घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। एक ओर सरकार द्वारा डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा दिया जा रहा है, तो वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं धोखे का आसान शिकार बन रही हैं। इन मामलों में न केवल साइबर अपराधियों की साजिश शामिल होती है, बल्कि स्थानीय कार्यकर्ताओं की मिलीभगत की भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

क्या आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका जांच के घेरे में आएगी?

पूनम के मामले में आशा कार्यकर्ता द्वारा दिए गए संदिग्ध नंबर को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या बिंदू देवी जानबूझकर ठगों के संपर्क में थीं? या वो भी किसी धोखे का शिकार बनीं? यह तो जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा, लेकिन पुलिस और स्वास्थ्य विभाग को इस दिशा में सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।


साइबर सुरक्षा के लिए जरूरी है जागरूकता

आज के डिजिटल युग में सबसे बड़ा हथियार है जागरूकता। अगर पूनम को ओटीपी की गोपनीयता के बारे में जानकारी होती, तो शायद वह इतनी बड़ी ठगी का शिकार न होती। पुलिस द्वारा समय-समय पर जनजागरूकता अभियान चलाए जाते हैं, लेकिन इनका असर ग्रामीण क्षेत्रों में कम ही देखने को मिलता है।

पशु तस्करी पर लगाम कसने के लिए पुलिस का ऑपरेशन

विशाल यादव जैसे इनामी बदमाशों की गिरफ्तारी यह साबित करती है कि पुलिस अब अपराधियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाए हुए है। गोवध निवारण अधिनियम को प्रभावी बनाने के लिए पुलिस की सक्रियता जरूरी है। पशु तस्करी न केवल एक कानूनी अपराध है बल्कि यह धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी संवेदनशील विषय है।


चेतावनी और सुझाव: यदि आपके पास कोई भी अनजान कॉल या मैसेज आए जिसमें OTP या बैंक डिटेल्स मांगी जाएं, तो तुरंत सतर्क हो जाएं। सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए कभी भी निजी जानकारी फोन पर साझा न करें। किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना नजदीकी थाने या साइबर सेल को दें। आपकी सतर्कता ही आपकी सबसे बड़ी सुरक्षा है।

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