कानपुर के बादशाहीनाका इलाके में एक दिल दहला देने वाली वारदात ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया। यहां बिजली बिल जमा न करने को लेकर हुए मामूली विवाद ने एक परिवार को तबाह कर दिया। बड़े भाई जितेंद्र यादव ने अपने ही छोटे भाई विजेंद्र की सीने में सूजा घोंपकर हत्या कर दी। दिल को चीर देने वाला ये मामला अब न सिर्फ कानपुर, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है।
घटना का वायरल वीडियो: चुपचाप देखते रह गए लोग, किसी ने नहीं की मदद
घटना के ठीक बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो गया जिसमें पूरा हत्याकांड साफ तौर पर रिकॉर्ड हो गया। वीडियो में देखा जा सकता है कि विजेंद्र भैंस लेकर घर से निकलता है, तभी जितेंद्र, जो गुलाबी शर्ट पहने है, गली में आता है और दोनों के बीच तेज बहस शुरू हो जाती है। मामला इतना बढ़ जाता है कि जितेंद्र लकड़ी के डंडे से विजेंद्र पर पांच वार करता है।
इसके बाद जब विजेंद्र पलट कर विरोध करता है, तो जितेंद्र पास रखी बर्फ की सील के पास से लोहे का सूजा उठाकर सीधा उसके सीने में घोंप देता है। खून से लथपथ छोटा भाई वहीं ढेर हो जाता है। इस दौरान उसका दिव्यांग पिता मदद के लिए चिल्लाता है, लेकिन जितेंद्र उसे धक्का देकर मौके से फरार हो जाता है।
पुलिस का खुलासा: बिजली बिल बना था विवाद की जड़
बादशाहीनाका थाने के इंस्पेक्टर राजीव कुमार सिंह ने बताया कि प्रारंभिक पूछताछ में जितेंद्र ने बताया कि विजेंद्र बिजली का बिल जमा नहीं कर रहा था, जिससे परिवार में तनाव था। पहले भी इसी बात को लेकर कई बार बहस हो चुकी थी। मगर इस बार गुस्सा इस हद तक बढ़ गया कि जितेंद्र ने अपने खून के रिश्ते को मिटा दिया।
इलाकाई लोग भी दिखे खौफजदा, किसी ने नहीं रोकी वारदात
वीडियो में यह भी देखा गया कि आसपास के लोग खड़े होकर यह खौफनाक दृश्य देख रहे थे, लेकिन किसी में भी उसे रोकने की हिम्मत नहीं हुई। लोगों का कहना है कि अगर किसी ने समय पर पुलिस को सूचना दी होती, तो शायद विजेंद्र की जान बचाई जा सकती थी।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने किया पुष्टि: एक ही वार से हुई मौत
डॉक्टरों की टीम द्वारा की गई पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ है कि सूजे का वार सीधा दिल में किया गया था जिससे भारी मात्रा में आंतरिक रक्तस्राव हुआ और विजेंद्र की मौके पर ही मौत हो गई।
हत्या के बाद रोया कातिल, अंतिम संस्कार में जाने की मांग
घटना के बाद जब जितेंद्र को पुलिस ने गिरफ्तार किया और जेल भेजने की तैयारी की, तब वह पुलिस के सामने फूट-फूटकर रोने लगा। उसने गिड़गिड़ाते हुए कहा कि वह अपने छोटे भाई के अंतिम संस्कार में शामिल होना चाहता है। उसकी यह बात सुनकर पुलिस भी कुछ समय के लिए हतप्रभ रह गई। उसने कहा, “जो होना था वो हो गया, अब मैं क्या कर सकता हूं।” मगर कानून ने उसे कोई राहत नहीं दी और उसे जेल भेज दिया गया।
परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़, दिव्यांग पिता की हालत नाजुक
घटना के बाद पूरा परिवार सदमे में है। दिव्यांग पिता की मानसिक हालत भी खराब हो गई है। दो बेटों में से एक की हत्या हो गई और दूसरा जेल चला गया। पूरे मोहल्ले में मातम पसरा है।
पड़ोसियों ने जताई चिंता: ‘पहले ही तनावपूर्ण था माहौल’
पड़ोसियों का कहना है कि यादव परिवार में कई महीनों से घरेलू विवाद चल रहे थे। बिजली बिल तो महज एक बहाना बन गया। असल में यह आपसी अविश्वास और तनाव का परिणाम था। कई बार मोहल्लेवालों ने सुलह कराने की कोशिश भी की थी, लेकिन हालात नहीं सुधरे।
भविष्य में ऐसे मामलों से बचने के लिए क्या हो उपाय?
समाज में लगातार बढ़ते घरेलू हिंसा के मामलों पर चिंता जताते हुए सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा है कि परिवारों को संवाद के माध्यम से विवाद सुलझाने की आदत डालनी चाहिए। बिजली बिल जैसे छोटे मुद्दों को लेकर अगर कोई अपने खून का रिश्ता ही खत्म कर दे, तो यह केवल एक परिवार की नहीं, समाज की भी विफलता है।
क्या कहता है कानून? IPC की किन धाराओं में दर्ज हुआ मामला
इस मामले में IPC की धारा 302 (हत्या), 504 (उकसाना) और 506 (धमकी देना) के तहत केस दर्ज किया गया है। पुलिस ने आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया है और कोर्ट में चालान पेश करने की तैयारी कर रही है।
ऐसे मामलों में समाज की भूमिका कितनी अहम?
इस पूरी घटना में समाज की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। वीडियो में दर्ज भीड़ की खामोशी बता रही है कि कैसे हम सिर्फ मूकदर्शक बनते जा रहे हैं। न पुलिस को समय पर खबर दी गई, न ही किसी ने बीच-बचाव की कोशिश की।
पुलिस ने की अपील: अपराध होते देखें तो तुरंत दें सूचना
बादशाहीनाका पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि अगर वे किसी प्रकार की हिंसक घटना होते देखें तो तुरंत पुलिस को सूचित करें। वीडियो बनाने से ज्यादा जरूरी होता है किसी की जान बचाना।
कानपुर की इस घटना ने एक बार फिर यह दिखा दिया कि किस तरह घरेलू झगड़े अब जानलेवा बनते जा रहे हैं। बिजली बिल जैसे मामूली मुद्दे को लेकर एक भाई ने अपने ही सगे भाई की जान ले ली और फिर अपने कृत्य पर पछतावा जताया। यह सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना का क्षरण है। क्या समय आ गया है कि हम सिर्फ वीडियो बनाने की जगह, इंसानियत दिखाएं और लोगों की जान बचाएं?