Shahjahanpur।उत्तर प्रदेश की सड़कों पर दर्द की चीखें तब गूंज उठीं, जब लखनऊ-दिल्ली हाईवे पर एक दर्दनाक हादसे में गोरखपुर के नामी कारोबारी शिवम पांडेयउनके मासूम बेटे माधवन और बहन श्वेता द्विवेदी की दर्दनाक मौत हो गई। हादसा इतना भयानक था कि कार के परखच्चे उड़ गए, लेकिन सबसे शर्मनाक बात यह रही कि लोग तमाशबीन बने रहे, किसी ने भी मदद करने की जहमत नहीं उठाई।
🟠 हादसे की भयावहता: खून से लथपथ घायल, टूटी कार, और मदद को तरसते परिजन
सुबह करीब छह बजे रोजा थाना क्षेत्र के जमुका गांव के पास, शिवम पांडेय की होंडा सिटी कार एक खड़े ट्रक में जा घुसी। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि कार पूरी तरह चकनाचूर हो गई। शिवम, उनका दो वर्षीय बेटा माधवन और बहन श्वेता की मौके पर ही मौत हो गई। कार में सवार अन्य तीन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। हादसे की खबर मिलते ही पूरे इलाके में सनसनी फैल गई।
🟡 मदद नहीं, लूट हो रही थी: घायल परिजनों ने खुद तोड़ी खिड़की, 500 रुपये देकर पूछा रास्ता
इस दर्दनाक मंजर के बावजूद, मदद को कोई आगे नहीं आया। खुद शिवम के रिश्तेदार अमृतेश ने बताया कि हादसे के बाद कोई राहगीर उनकी मदद को नहीं रुका। उन्होंने सरिया से कार की खिड़की तोड़कर घायलों को बाहर निकाला और अपनी गाड़ी से उन्हें अस्पताल ले गए। इस दौरान जब उन्होंने किसी से रास्ता पूछा तो एक युवक ने रास्ता बताने के एवज में 500 रुपये ठग लिए।
🟢 कार चालक की हालत नाजुक, बार-बार रो रहा था “शिवम राजा जैसे थे”
राजकीय मेडिकल कॉलेज में शिवम पांडेय के चालक अंगद का रो-रोकर बुरा हाल था। कभी मोर्चरी के बाहर जमीन पर बैठ जाता, तो कभी शवों के पास जाकर सिसकता रहा। उसकी एक ही बात थी – “शिवम राजा जैसे थे, उनके साथ परिवार जैसा रिश्ता था।” अंगद ने यह भी बताया कि कार की स्पीड ज्यादा नहीं थी, लगभग 60-70 किमी प्रति घंटे ही रही होगी।
🔵 रविवार रात निकले थे गोरखपुर से, चाय पीने के बाद कुछ ही मिनट में हो गया हादसा
शिवम के परिजनों ने बताया कि वे रविवार रात 9 बजे गोरखपुर से निकले थे। सफर के दौरान हर दो-तीन घंटे में चाय-पानी के लिए रुकते रहे। दुर्घटना से महज 10 मिनट पहले उन्होंने उचौलिया में चाय पी थी। उनकी गाड़ी शिवम की गाड़ी से करीब 500 मीटर पीछे चल रही थी।
🟣 ट्रक चालक की झपकी बनी मौत की वजह? पुलिस जांच में जुटी, आरोपी मौन
रोजा थाना पुलिस ने मौके पर पहुंचकर दुर्घटना की जांच शुरू कर दी है। ट्रक सड़क किनारे खड़ा था और झपकी आने की वजह से हादसे की आशंका जताई जा रही है। हालांकि ट्रक चालक इस बारे में कुछ स्पष्ट नहीं बता पा रहा है। बार-बार एक ही बात दोहराता है – “कुछ समझ नहीं आया कैसे हो गया।” जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे हादसे की भयावहता सामने आ रही है।
🟤 तीन शव एक साथ देख परिवार बदहवास, अस्पताल में मातम का माहौल
जब परिजन गोरखपुर से शाहजहांपुर मेडिकल कॉलेज पहुंचे और शवों को देखा तो विलाप मच गया। शिवम, श्वेता और मासूम माधवन की मौत ने हर किसी को झकझोर दिया। परिजन रोते हुए बार-बार एक ही सवाल करते रहे – “ऐसा क्यों हुआ?” पोस्टमार्टम के बाद तीनों शव परिजनों को सौंप दिए गए।
⚫ गोरखपुर में शोक की लहर, कारोबारी समाज में शोकसभा आयोजित
शिवम पांडेय की मौत की खबर जैसे ही गोरखपुर पहुंची, पूरे शहर में शोक की लहर दौड़ गई। कारोबारी समाज ने शोकसभा आयोजित की, जहां उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। शिवम पांडेय एक सफल उद्यमी थे और कई लोगों को रोज़गार दे रहे थे। उनकी फैक्टरी और अन्य व्यापारिक गतिविधियों से सैकड़ों परिवार जुड़े थे।
🟢 हादसा या सिस्टम की नाकामी? उठते हैं कई सवाल
यह हादसा सिर्फ एक सड़क दुर्घटना नहीं, बल्कि समाज की संवेदनहीनता और सिस्टम की विफलता की कहानी भी है। अगर समय पर मदद मिलती, तो शायद तीनों की जान बच सकती थी। राहगीरों का मदद ना करना, घायल परिजनों को 500 रुपये देकर रास्ता पूछने की मजबूरी – ये दर्शाता है कि हमारी सामाजिक चेतना कितनी कमजोर हो चुकी है।
🟠 भविष्य में ऐसे हादसों से बचाव कैसे हो?
प्रशासन को चाहिए कि हाईवे पर सीसीटीवी, अधिक पुलिस गश्त और मेडिकल इमरजेंसी सहायता की व्यवस्था की जाए। साथ ही, समाज में मानवता और संवेदनशीलता को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। ऐसे हादसे हमें बार-बार चेतावनी देते हैं कि हम तकनीकी रूप से भले ही आगे बढ़ गए हों, लेकिन इंसानियत पीछे छूट गई है।
शाहजहांपुर में हुए इस दर्दनाक हादसे ने इंसानियत, सिस्टम और सामाजिक चेतना पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। शिवम पांडेय जैसे मेहनती, सफल और परिवार के प्रति समर्पित व्यक्ति की असमय मृत्यु ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे समाज को झकझोर दिया है। जरूरी है कि हम सभी मिलकर ऐसे हादसों को रोकने के लिए जागरूकता फैलाएं, और ज़रूरत के समय मदद के लिए आगे आएं – ताकि अगली बार कोई माधवन सड़क पर अपनी जिंदगी ना गंवाए।